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    इतिहास

    पहले मुंसिफ मथुरा की अदालत जिला सिविल अस्पताल (वर्तमान में जहां विकास मार्केट है) के पास स्थित थी, जिसे वर्ष 1902 ई. में नई इमारत में स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसे अब जजशिप के ठीक सामने ओल्ड मुंसिफी कंपाउंड कहा जाता है।
    बाद में सिविल जज (बदला हुआ सिविल जज सीनियर डिवीजन) और अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालतें बनाई गईं।
    मथुरा सत्र प्रभाग की शुरुआत 1951 में हुई थी। श्री गिरीश चंद्र श्रीवास्तव मथुरा के पहले जिला सत्र न्यायाधीश थे जिन्होंने 25.09.1951 को कार्यभार संभाला था। इस जजशिप में प्रतिष्ठित जिला न्यायाधीशों का विशेषाधिकार है, जिन्हें माननीय उच्च न्यायालय में न्यायाधीश उच्च के रूप में पदोन्नत किया गया था
    न्यायालय अर्थात् श्री ओ.पी. मेहरोत्रा, श्री एन.बी. अस्थाना, श्री पी.के. जैन, श्री जे.सी. मिश्रा, श्री देवकांत त्रिवेदी, श्री एस.एस. कुलश्रेष्ठ, श्री जे.एम. पालीवाल, श्री ओ.एन. खंडेलवाल, श्री एम.के.मित्तल, श्री वाई.के. सिंघल एवं श्री वीरेन्द्र सिंह, श्री. एस.वी.एस. राठौड़, श्री वीरेन्द्र विक्रम सिंह।
    इस जिले में सदर, छाता, मांट और महावन नाम से 4 तहसीलें हैं। वर्तमान में छाता में 22.12.1997 से एक बाह्य न्यायालय कार्यरत है